सागर । समाज के सर्वांगीण विकास के केन्द्र बिंदु में हमेशा से साहित्य रहा है और सरस्वती पुस्तकालय एवं वाचनालय साहित्यकारों को सम्मानित कर एक प्रशंसनीय कार्य कर रही है। यह बात रानी अबंती बाई राजकीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो विनोद मिश्रा ने कही। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रो मिश्रा ने कहा कि मेरा जन्म और शिक्षा नर्मदा किनारे हुई है और जिस तरह नर्मदा सागर में जाकर विलय हो जाती है ऐसा ही अब में सागर का निवासी होकर सागर में विलय होना चाहता हूं उन्होंने उपस्थित अतिथियों से कहां कि आप सबके मार्गदर्षन से विश्वविद्यालय को नई उचाईयां प्रदान करने का प्रयास करूगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव ने कहां कि सरस्वती वाचनालय ट्रस्ट की साहित्य सेवा उल्लेखनीय है। साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने के लिए साहित्य सरस्वती पुरस्कार की परंपरा विगत तीन वर्षों से जारी है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण देते हुए ट्रस्ट के सचिव शुकदेव प्रसाद तिवारी ने बताया कि 122 वर्श की वाचनालय की यात्रा गौरवशाली है वर्तमान में संस्था नियमित त्रिमासिक पत्रिका प्रकाशन के अलावा साप्ताहिक कवि गोश्ठियों का निरंतर संचालन कर रही है। सरस्वती साहित्य पुरस्कार के तहत श्रेष्ठ साहित्यकारों को प्रषस्ति पत्र के अलावा एक लाख रूपये की राषि दी जाती है।
कार्यक्रम को संस्था के अध्यक्ष अधिवक्ता केके सिलाकारी, साहित्य सरस्वती पुरस्कार के चयन समिति के संयोजक प्रो सुरेश आचार्य, डॉ लक्ष्मी पाण्डेय ने भी संबोधित किया।
चौथे साहित्य सरस्वती पुरस्कार 2025 से सम्मानित डॉ श्याम मनोहर सीरोठिया ने कहां कि उन्होंने अपने जीवन में पूरे देश में विभिन्न सम्मान अनेक गणमान्य नागरिकों द्वारा प्राप्त किया है लेकिन जो खुशी मुझे आज अपने गृहनगर की संस्था द्वारा सम्मानित करने पर मिली है इसके लिए शब्द नहीं है अपने लोगों के बीच अपनी संस्था जब किसी व्यक्ति के काम की प्रशंसा करती है तो सही मायने में व्यक्ति का आकलन होता है। उन्होंने श्री सरस्वती पुस्तकालय एवं वाचनालय द्वारा उन्हे साहित्य सरस्वती पुरस्कार से नबाजे जाने पर हृदय से आभार माना ।
कार्यक्रम का संचालन कवि हरिसिंह ठाकुर ने एवं आभार ट्रस्ट के उपाध्यक्ष जीएल छत्रसाल ने किया।
सरस्वती पुस्तकालय एवं वाचनालय ने राजकीय विश्वविद्यालय को अपने त्रिमासिक पत्रिका साहित्य सरस्वती के 11 वर्षो के 44 अंक सहित मां सरस्वती की प्रतिमा विश्वविद्यालय को सप्रेम भेंट दी।
इस अवसर पर ख्यातिनाम वैज्ञानिक प्रो एसपी व्यास, सचेतक एवं पार्षद शैलेन्द्र ठाकुर, संपादक हरी चौबे, डा लक्ष्मी पाण्डेय, सुश्री शरद सिंह, मुकेश तिवारी, ममता भूरिया, हरगोविंद विश्व, डॉ गजाधर सागर, टीकाराम त्रिपाठी, मणिदेव सिंह ठाकुर, जितेन्द्र सिंह चावला, आर एस यादव, जगदीष महेष्वरी, कपिल बैसाखिया, डॉ चंचला दुबे, डॉ आषीश द्विवेदी, डॉ रामानुज गुप्ता, डॉ वंदना गुप्ता, रमेष दुबे, उपस्थित थे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव ने कहां कि सरस्वती वाचनालय ट्रस्ट की साहित्य सेवा उल्लेखनीय है। साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने के लिए साहित्य सरस्वती पुरस्कार की परंपरा विगत तीन वर्षों से जारी है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण देते हुए ट्रस्ट के सचिव शुकदेव प्रसाद तिवारी ने बताया कि 122 वर्श की वाचनालय की यात्रा गौरवशाली है वर्तमान में संस्था नियमित त्रिमासिक पत्रिका प्रकाशन के अलावा साप्ताहिक कवि गोश्ठियों का निरंतर संचालन कर रही है। सरस्वती साहित्य पुरस्कार के तहत श्रेष्ठ साहित्यकारों को प्रषस्ति पत्र के अलावा एक लाख रूपये की राषि दी जाती है।
कार्यक्रम को संस्था के अध्यक्ष अधिवक्ता केके सिलाकारी, साहित्य सरस्वती पुरस्कार के चयन समिति के संयोजक प्रो सुरेश आचार्य, डॉ लक्ष्मी पाण्डेय ने भी संबोधित किया।
चौथे साहित्य सरस्वती पुरस्कार 2025 से सम्मानित डॉ श्याम मनोहर सीरोठिया ने कहां कि उन्होंने अपने जीवन में पूरे देश में विभिन्न सम्मान अनेक गणमान्य नागरिकों द्वारा प्राप्त किया है लेकिन जो खुशी मुझे आज अपने गृहनगर की संस्था द्वारा सम्मानित करने पर मिली है इसके लिए शब्द नहीं है अपने लोगों के बीच अपनी संस्था जब किसी व्यक्ति के काम की प्रशंसा करती है तो सही मायने में व्यक्ति का आकलन होता है। उन्होंने श्री सरस्वती पुस्तकालय एवं वाचनालय द्वारा उन्हे साहित्य सरस्वती पुरस्कार से नबाजे जाने पर हृदय से आभार माना ।
कार्यक्रम का संचालन कवि हरिसिंह ठाकुर ने एवं आभार ट्रस्ट के उपाध्यक्ष जीएल छत्रसाल ने किया।
सरस्वती पुस्तकालय एवं वाचनालय ने राजकीय विश्वविद्यालय को अपने त्रिमासिक पत्रिका साहित्य सरस्वती के 11 वर्षो के 44 अंक सहित मां सरस्वती की प्रतिमा विश्वविद्यालय को सप्रेम भेंट दी।
इस अवसर पर ख्यातिनाम वैज्ञानिक प्रो एसपी व्यास, सचेतक एवं पार्षद शैलेन्द्र ठाकुर, संपादक हरी चौबे, डा लक्ष्मी पाण्डेय, सुश्री शरद सिंह, मुकेश तिवारी, ममता भूरिया, हरगोविंद विश्व, डॉ गजाधर सागर, टीकाराम त्रिपाठी, मणिदेव सिंह ठाकुर, जितेन्द्र सिंह चावला, आर एस यादव, जगदीष महेष्वरी, कपिल बैसाखिया, डॉ चंचला दुबे, डॉ आषीश द्विवेदी, डॉ रामानुज गुप्ता, डॉ वंदना गुप्ता, रमेष दुबे, उपस्थित थे।