— बीएमसी प्रबंधन और सीटी स्कैन संचालक के बीच विवाद में आयुष्मान के तहत जांचे बंद
— बीएमसी ने 9 महीने से सीटी स्कैन सेंटर संचालक का करीब 35 लाख रुपए का भुगतान रोका
— सीटी स्कैन सेंटर को नकद भुगतान करने पर कोई भी जांच करा सकता है
चैतन्य सोनी। सागर
संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में गरीब तबके के मरीजों को शासन की तय गाइड लाइन और आयुष्मान योजना के तहत पूरा इलाज नहीं मिल पा रहा है। हद से ज्यादा परेशानी उन गंभीर मरीजों को हो रही है जो आयुष्मान कार्ड लगाते हैं और डॉक्टर उन्हें सीटी स्कैन जांच कराने के लिए परामर्श देते हैं। बीएमसी में आयुष्मान कार्ड धारकों की सिटी स्कैन जांच 9 महीने से बंद है, जबकि सामान्य व ऐसे मरीज जो जेब से रकम खर्च करते हैं उनको यह सुविधा बाकायदा दी जा रही है।
केंद्र सरकार ने गरीब-वंचित और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को सरकारी और निजी अस्पतालों में 5 लाख तक नि:शुल्क इलाज की सुविधा दिलाने के लिए आयुष्मान निरामय योजना प्रारंभ की थी। इसमें बीमारियों के इलाज से पहले जांचे भी शामिल की गई थीं, लेकिन मप्र के सागर संभागीय मुख्यालय पर स्थित बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में आयुष्मान योजना के मरीजों की दुर्गति हो रही है। दरअसल अस्पताल के अंदर मौजूद श्रीजी सीटी स्कैन सेंटर में सामान्य मरीजों की जांच तो पैसे लेकर की जा रही है, लेकिन आयुष्मान कार्ड धारकों को जांच से मना करते हैं। मामले में पड़ताल करने पर पता चला कि बीते नंबवर 2023 से यहां आयुष्मान योजना के किसी भी मरीज की सीटी स्कैन नहीं की गई है।
बीएमसी ने 35 लाख रुपए भुगतान नहीं किया
कारणों की तह में जाने पर पता चला कि बीएमसी प्रबंधन ने कोरोना काल के पहले 2018 में निजी एजेंसी श्रीजी सीटी स्कैन सेंटर से अनुबंध किया था, जिसमें रियायती दरों पर गरीब मरीजों को सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध कराने मशीन स्थापित कराई थी। बाद में टेंडर समाप्त हो गया और कोरोना काल से मौखिक रूप से उसे आगे बढ़ाते रहे। नवंबर 2023 से अभी तक जिन आयुष्मान मरीजों की बीएमसी ने सीटी स्कैन कराई उनका गई, उनका भुगतान नहीं किया। श्रीजी सेंटर सीटी स्कैन संचालक दशरथ ठाकुर ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि बीते 9 महीनों में करीब 35 लाख रुपए हमारा बिल बना है, जिसका बीएमसी भुगतान नहीं कर रहा है। इस कारण हमने आयुष्मान योजना के तहत जांचे करना बंद कर दिया है।
हम नया या लोकल टेंडर नहीं कर सकते
वंचित, गरीब और मजबूर वर्ग से आने वाले सैकड़ों लोगों की इस समस्या को लेकर जब बीएमसी प्रबंधन के जिम्मेदार अधिकारी व अधीक्षक डॉ. राजेश जैन के पास लेकर पहुंचे तो उन्होंने बताया कि हमारा अनुबंध समाप्त हो गया है। सीटी स्कैन व एमआरआई मशीन की सुविधा हमें शासन स्तर से मिलने वाली है, इस कारण हम नया टेंडर लोकल स्तर पर नहीं कर पा रहे हैं। यह सही है कि आयुष्मान के मरीजों को समस्या हो रही है, इसके विकल्प के तौर पर हमने पास ही स्थित जिला अस्पताल की अनुबंधित एजेंसी से यह जांच कराना प्रारंभ कर दिया है। श्रीजी सीटी स्कैन सेंटर का जो भी भुगतान है वह भविष्य में शासकीय नियमों के तहत सेटल किया जाएगा।
रोजाना 6 लाख तो महीने का 1.50 लाख क्लेम
आयुष्मान निरायम योजना के तहत सरकार मरीजों के इलाज पर कितना भारी—भरकम बजट खर्च करती है, ताकि वचिंत और गरीबों को समय पर और सही इलाज मिल सके उसकी बानगी हम आपको कुछ आंकड़ों के साथ बताते हैं। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में रोजाना आयुष्मान के अंतर्गत आने वाले मरीजों का करीब 6 से 7 लाख रुपए का क्लेम बनता है। इस हिसाब से एक महीने में डेढ़ करोड़ तो एक साल में करीब 18 करोड़ रुपए केवल एक अस्पताल को भुगतान किया जा रहा है। जबकि सागर जिले में सरकारी अस्पताल 10 और 7 निजी अस्पतालें योजना में सूचीबद्ध हैं। बता दें कि केंद्र सरकार ने आयुष्मान योजना गरीब व ऐसे वंचित तबके को मुकम्मल इलाज दिलाने के लिए ही लांच की थी। इसमें प्रत्येक कार्डधारक को एक साल में 5 लाख रुपए तक का निशुल्क इलाज दिया जाता है। सरकारी अस्पतालों को विशेष रूप से आर्थिक सक्षम व इलाज की दृष्टि से सुविधा संपन्न बनाने के लिए शासन हर साल एक—एक जिले में अरबों रुपए आयुष्मान क्लेम के तौर पर प्रदान कर रहा है, ताकि गरीबों को संविधान की भावना के अनुरूप हर वर्ग के व्यक्ति को पूरी गरिमा व समानता के साथ इलाज दिलाया जा सके और अमीर और गरीब के साथ आर्थिक भेद समाप्त हो, लेकिन सागर के बीएमसी में संविधान की भावना और संवैधानिक मूल्यों का सरासर उल्लंघन सामन आ रहा है।